क्यों ज्यादातर निवेशक बाजार की अस्थिरता का सामना करने में नाकाम रहते हैं-

राधेश्याम चौहान एवम शोभित अग्रवाल की रिपोर्ट –

बाजार और अस्थिरता के बीच चोली-दामन का नाता है. बीते तीन महीनों में घरेलू शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. इस वजह से कई निवेशक मायूस हैं. कुछ अच्छी कमाई कर रहे हैं. बाजार की अस्थिरता को भांप पाने में कई दफा दिग्गज निवेशक विफल हो जाते हैं.

निवेश रहे सावधान माकेर्ट नई Buying से बचे
ज्यादातर निवेशकों के शेयर बाजार से बढ़िया कमाई नहीं कर पाने की बड़ी वजह यह है कि वे उतार-चढ़ाव को लेकर बेचैन और असहजत महसूस करते हैं. क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?

शुरुआत में हम कुछ सामान्य और ठोस तथ्यों को समझने का प्रयास करते हैं. आप बाजार में किसी भी समय निवेश करना शुरू कर सकते हैं, मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि आप जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं. असली जोखिम है कि आप बिना डरे परिणाम को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें.

भारत के अनलॉक होते शेयर माकेट मे खूब खरीदारी हो रही है दो दिन सेंसेक्स 1500 और निफ्टी 450 तेज हो चुका है निफ्टी 10000 के स्तर को छूने को तैयार है। आटो, एनबीएफसी, बैंकिंग, टेलीकॉम, फार्मा, मेंटल, heavy goods, एफएमसीजी, आईटी सभी शेयरो तेजी दिखाई दे रही है । bajaj finance, bajaj finsv दो दिनो 20 प्रतिशत का उछाल आ चुका है ,

बीएसई इंडेक्स भी आज 1.26 के तेजी साथ काराबोर किया वही दूसरी और स्मालकैप इंडेक्स ने भी तेजी साथ 1.85 साथ काराबोर किया।

इस समय सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या आम निवेशक को यह नई Buying करनी चाहिए और माकेट मे यह तेजी कहा तक बन रही सकती है ।

मगर असली सवाल है कि आप असहज किस वजह से होते हैं? इसका जवाब है कि जब हालात हमारे पक्ष में नहीं होते और हम बुरे नतीजों के लिए तैयार नहीं होते, तो इससे दुख और असहजता पैदा होती है. हम भूल जाते हैं कि उतार-चढ़ाव और अस्थिरता बाजार के स्वभाव हैं.

हर निवेशक इस बात को जानता है. मगर बेहद कम इसे समझ पाते हैं. जब कोई निवेशक बाजार में पैसा लगाता है, तो उम्मीद करता है कि उसका हर दांव सफल होगा, जो असल में असंभव है.

हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि बाजार हमारी इच्छानुसार चढ़ेगा या फिसलेगा, क्योंकि हम बाजार के असली बर्ताव को नहीं समझते और अपनी एकतफा और गैर वाजिब महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए दांव लगाते हैं. मगर बाजार का अपना अलग बर्ताव होता है, जिसपर हमारी उम्मीदें बेअसर साबित होती हैं.

निवेशकों की बेचैनी और असहजता का सबसे सामान्य कारण बगैर लक्ष्य के निवेश करना है. कई निवेशक दीर्घावधि निवेश करने के लिए बाजार में उतरते हैं और बेहद कम समय में घबरा जाते हैं क्योंकि वे भरोसा नहीं कर पाते कि मौजूदा निवेश उनके लक्ष्य को पूरा कर पाएगा. जरूरतों के आधार पर लक्ष्य बनाना बेहद अहम है.

हर निवेशक यह बात जानता है कि बाजार में अनिश्चितता होती है, मगर असल में कितने ही निवेशक इस कड़वे सच को पचा पाते हैं. आज की बात करें, तो कोरोना की वजह से शेयर बाजार के हालात अस्थिर नजर आ रह हैं. निवेशक को लगता है कि यह मंदी बाजार की सबसे बड़ी और लंबी होगी, जिसे वे चूकना नहीं चाहते.

मगर इतिहास में इससे भी बुरा दौर आ चुका है. साल 1918 में स्पैनिश फ्लू का दौर आया. इसने पहले विश्व युद्ध ने दस्तक दी थी. विश्व युद्ध में दुनिया की तीन-फीसदी आबादी की मौत हुई, जिसके बाद इस वैश्विक महामारी ने दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या को साफ कर दिया.

इसके बाजार में जबरदस्त तेजी आई, जो अगले 10 साल तक जारी रही. 13वीं सदी के दौरान भी ऐसा ही देखने को मिला. जब ‘द ब्लैक डेथ’ (प्लेग) ने दुनिया की करीब आधी आबादी को मौत की नींद सुला दी. इसे बावजूद यूरोप सफल हुआ और उसने अगली कई सदियों तक पूरी दुनिया पर राज किया.

बाजार में जोखिम हमेशा रहता है और हम इनके लिए तैयार रह कर ही बाजार में निवेश करना चाहिए. जोखिम क्षमता का आंकलन और सटीक लक्ष्य निर्धारित करना ही सफलता की कूंजी हैं. यदि हम इन बातों पर गौर नहीं करेंगे, तो एक बार खुद को बेचैन कर सकता है.

अत्यधिक अस्थिरता और जोखिम शेयर बाजार के अभिन्न अंग जैसे हैं और हमें इनके लिए हमेशा ही कमर कस कर रखनी चाहिए. इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि लंबे दर्द के बाद ही मोटी कमाई मिलती है.

(नोट: राधेश्याम चौहान इंदिरा ब्रोकिंग के रिसर्च हेड है . इस लेख में दिए गए विचार उनके निजी है. दिव्यप्रभात हिंदी का इन विचारों से सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)

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