क्‍या आपको सोने में निवेश करना चाहिए? क्या ये उचित समय है ?

दुनियाभर में एक ट्रेंड साफ दिख रहा है. निवेशक जोखिम वाले एसेट क्‍लास से पैसा निकाल सुरक्षित विकल्‍पों में लगा रहे हैं. यानी शेयरों से पैसा सरकारी बॉन्‍ड और सोने जैसे एसेट में जा रहा है. कोरोना की महामारी के कारण दुनियाभर में अनिश्चितता का माहौल है. ऐसी स्थितियों में अक्‍सर यह ट्रेंड देखने को मिलता है. भारत में लोग पारंपरिक तौर पर सोने में निवेश करते रहे हैं.

सोना के भाव 43,000-47,000 रुपये प्रति दस ग्राम के दायरे में हैं. इस साल (2020) यह 16 फीसदी चढ़ चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या अभी इसमें निवेश करना चाहिए? क्‍या ऐसा करना सुरक्षित होगा? इसका उचित मूल्‍य क्‍या है और यह कहां तक जा सकता है? मौजूदा स्थितियों में सोने में निवेश करने का सही तरीका क्‍या है?

क्‍या आपको सोने में निवेश करना चाहिए?
अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं और लंबे समय में पैसा जुटाना चाहते हैं तो कीमतों में मौजूदा उतार-चढ़ाव का आपके फैसले पर असर नहीं पड़ना चाहिए. ऑक्‍सफोर्ड इकनॉमिक्‍स के शोध के अनुसार, सोना डिफ्लेशन की अवधि में अच्‍छा करता है. डिफ्लेशन वह समय होता है जब ब्‍याज की दरें कम होती हैं, खपत नहीं होती है और अर्थव्‍यवस्‍था पर दबाव होता है.

हम देख चुके हैं कि 2000 में डॉटकॉम बुलबुले के दौरान भी सोने ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया था. 2008 में ग्‍लोबल मंदी के समय में भी इसने इसी प्रदर्शन को दोहराया था. पिछले वित्‍तीय संकटों के मुकाबले महामारी के चलते पैदा हुई स्थितियां ज्‍यादा गंभीर हैं. दलाल स्‍ट्रीट ने इसमें किसी को नहीं बख्‍शा है. कच्‍चे तेल की कीमतों में गिरावट ने इसमें आग में घी डालने का काम किया है. हमने क्रूड ऑयल की निगेटिव प्राइसिंग भी देखी है जो पहले कभी नहीं हुआ.

हम यह भी जानते हैं कि गोल्‍ड और इक्विटी का आपस में उल्‍टा संबंध है. ग्‍लोबल रेटिंग एजेंसी और अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने ग्‍लोबल जीडीपी के अनुमानों को घटा दिया है. इसका शेयरों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. अपने पोर्टफोलियो को बचाने के लिए संस्‍थागत निवेशक अपने निवेश को इक्विटी से गोल्‍ड और बॉन्‍डों में शिफ्ट करेंगे. इन बातों से साफ होता है कि आने वाले दिनों में सोने की मांग में इजाफा होगा.

क्‍या इसकी चमक और बढ़ेगी?
1973 से सोने ने 14.10 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है. वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल की रिपोर्ट से इसका पता चलता है. रुपये की कीमत लगातार घट रही है. 21 अप्रैल को यह सबसे निचले स्‍तर पर पहुंच गया था. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसमें आने वाले दिनों में और गिरावट देखने को मिलेगी. कारण है कि कोरोना महामारी का असर सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्‍य पर पड़ेगा.

दुनिया की कई स्‍वर्ण खदानों ने अस्‍थायी रूप से अपने कारोबार को महामारी के चलते रोक दिया है. इससे सोने की कीमतों में तेजी आ सकती है. दिसंबर 2019 में खत्‍म हुए कैलेंडर वर्ष में सोने ने 25 फीसदी का रिटर्न दिया. तब कोरोना का कोई खतरा नहीं था. चालू वर्ष में सोना पहले ही 16 फीसदी रिटर्न दे चुका है. अब जब कोविड-19 तेजी से फैल रहा है, यह इक्विटी पर आने वाले दिनों में दबाव बना सकता है. इससे सोने की कीमतों को और बल मिलेगा. कुल मिलाकर सोने की कीमतों के आने वाले दिनों में बढ़ने के पूरे आसार हैं.

निवेश का सही तरीका क्‍या है?
मौजूदा स्थितियों में गोल्‍ड ईटीएफ या गोल्‍ड सॉवरेन बॉन्‍ड के जरिये सोने में निवेश का सबसे अच्‍छा तरीका है. गोल्‍ड सॉवरेन बॉन्‍ड के तहत निवेशकों को ब्‍याज के तौर पर नियमित इनकम होती है. इसके अलावा बॉन्‍ड की कीमत बढ़ने से भी उन्‍हें फायदा होता है. इसके अलावा गोल्‍ड सॉवरेन बॉन्‍ड को अगर मैच्‍योरिटी तक रखा जाता है तो इसकी बिक्री से हुए कैपिटल गेंस को इनकम टैक्‍स से छूट मिलती है. अगर मैच्‍योरिटी से पहले इसे बेचा जाता है तो इंडेक्‍सेशन बेनिफिट के साथ कैपिटल गेंस पर टैक्‍स लगता है.

सोने की कीमतों के बढ़ने के कारण कम मांग से फिजिकल गोल्‍ड मार्केट में लिक्विडिटी के कुछ मसले हो सकते हैं. लिहाजा, ईटीएफ और सॉवरेन बॉन्‍ड अच्‍छे विकल्‍प हैं. इनकी स्‍टॉक एक्‍सचेंज पर खरीद-फरोख्‍त हो सकती है.

शोभित अग्रवाल
शेयर बाजार विश्लेषक

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