उत्तराखंड का एक और जिला बनेगा ग्रीन जोन। जानिए कहां से आ रही है अच्छी खबर?

अच्छी बात ये है कि उत्तराखंड में अब 11 जिले ग्रीन जोन में आने वाले हैं…
उत्तराखंड में पहले से ही 10 जिले ग्रीन जोन में है। और एक जिला ऐसा है जहां से लगातार अच्छी खबर आ रही है।
यहां पिछले 19 दिन से कोरोना का कोई पॉजिटिव केस नहीं मिला है। लगातार 28 दिन तक यही स्थिति जारी रही, यानि अगले 11 दिन तक अगर कोरोना पॉजिटिव केस नहीं मिला तो हरिद्वार भी ग्रीन जोन में शामिल हो जाएगा…
हरिद्वार जिला जल्द ही रेड जोन से ऑरेंज जोन में शामिल हो सकता है। प्रदेश में इस वक्त हरिद्वार ही एक ऐसा जिला है, जो कि कोरोना के रेड जोन में शामिल है। दो जिले ऑरेंज जोन में हैं, जबकि 10 जिले ग्रीन जोन में। लेकिन अच्छी बात ये है कि उत्तराखंड में अब 11 जिले ग्रीन जोन में आने वाले हैं…

जी हाँ हरिद्वार जिला भी ऑरेंज जोन में शामिल हो सकता है। यहां पिछले 19 दिन से कोरोना का कोई पॉजिटिव केस नहीं मिला है। लगातार 28 दिन तक यही स्थिति जारी रही, यानि अगले 2 दिन तक अगर हरिद्वार में कोरोना का कोई पॉजिटिव केस नहीं मिला तो हरिद्वार भी ऑरेंज जोन में शामिल हो जाएगा। अगले 11 दिन तक अगर कोरोना पॉजिटिव केस नहीं मिला तो हरिद्वार भी ग्रीन जोन में शामिल हो जाएगा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक यहां 19 दिन से कोरोना का कोई पॉजिटिव केस नहीं मिला है। हरिद्वार जिले में 4 अप्रैल से 18 अप्रैल के बीच कोरोना संक्रमण के 7 मामले आए थे। जिनमें से 5 मरीज ठीक होकर घर वापस लौट चुके हैं।
नई गाइड लाइन के मुताबिक अगर किसी जिले में 21 दिन तक कोई नया मरीज नहीं मिला तो उस जिले को रेड से ऑरेंज जोन में शामिल किया जा सकता है। ऐसा हुआ तो हरिद्वार जिले के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। यहां शर्तों के साथ लॉकडाउन में छूट देने पर विचार किया जा सकता है। यही नहीं हरिद्वार जिले को ग्रीन जोन में भी शामिल किया जा सकता है। यहां 7 में से 5 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो चुके हैं, अगर दो मरीजों की रिपोर्ट भी लगातार नेगेटिव आ जाती है तो जिले के ग्रीन जोन में जाने की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी। आपको बता दें कि हरिद्वार जिले से अब तक 1440 लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, जिनमें से 1402 सैंपल की रिपोर्ट आ चुकी है। 7 रिपोर्ट पॉजिटिव हैं, जबकि 1395 रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई।

दफ्तरों में 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ कामकाज शुरू किया जा सकता है। वर्तमान में दफ्तरों में 33 फीसदी कर्मचारियों के साथ व्यवस्थाएं चलाई जा रही हैं।

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