पहाड़ से पलायन रोकने के लिए बड़ी पहल! मूल निवासियों को मिलेगा फायदा!

उत्तराखंड मैं दूसरे राज्यों से प्रवासी अपने घर तो लौट रहे हैं लेकिन उनके रोजगार को लेकर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इसी कवायद में उत्तराखंड वासियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने वाली अच्छी खबर आ रही है। उत्तराखंड में पहाड़ों से पलायन रोकने और लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने को तीन साल तक बिना ब्याज का लोन मिलेगा।

सहकारी बैंक की ओर से लोगों को ये लोन मिलेगा। इससे लोग पहाड़ों पर सैलून, ब्यूटी पॉर्लर, सब्जी, मटन चिकन की दुकान खोल सकेंगे।

इस स्वरोजगार मॉडल की शुरुआत टिहरी जिला सहकारी बैंक ने की है। मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस से हुई टिहरी जिला सहकारी बैंक की बैठक में प्रस्ताव पास हुआ।

इसके तहत पहाड़ों पर सैलून खोलने को एक लाख, ब्यूटी पॉर्लर को दो लाख, सब्जी की दुकान को 50 हजार, मटन, चिकन, फिश शॉप को एक लाख का लोन मिलेगा। सभी लोन में तीन साल तक ब्याज नहीं लिया जाएगा।

तीन किश्तों में मिलेगा लोन

पहली किश्त दुकान के साथ पांच साल का एग्रीमेंट होने पर, दूसरी किश्त सामान लाने और तीसरी किश्त दुकान शुरू करने से पहले मिलेगी।

इस योजना की शुरुआत टिहरी जिले से की जा रही है। फिर सिलसिलेवार सभी जिलों में इसे धरातल पर उतारा जाएगा।

मूल निवासियों को ही मिलेगा लाभ

टिहरी जिले में इस योजना का लाभ सिर्फ मूल निवासियों को ही मिलेगा। अध्यक्ष सुभाष रमोला ने कहा कि घर लौटे लोगों और मूल निवासियों को ही इससे जोड़ा जाएगा। क्योंकि पलायन की सबसे अधिक मार मूल निवासियों पर ही पड़ी है।

प्रवासियों पर रहेगा विशेष फोकस

सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि पहाड़ लौटे प्रवासियों पर विशेष फोकस है। पहाड़ के लोगों की आर्थिकी बढ़ाने में सहकारिता बेहद अहम भूमिका निभाने जा रहा है। लोगों को तीन या पांच गाय खरीदने को 25 प्रतिशत सब्सिडी दे रहे हैं। आंचल मिल्क बूथ स्थापना को 20 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। पलायन रोकने में टिहरी जिला सहकारी बैंक का सैलून, ब्यूटी पार्लर, सब्जी विक्रेताओं को दिए जाने वाले लोन का मॉडल भी सफल साबित होगा।

सुभाष रमोला, अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक टिहरी कहते हैं सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत के निर्देशानुसार जिला सहकारी बैंक की वीडियो कांफ्रेंस से हुई बैठक में प्रस्ताव पास कर दिया है। लोगों को सैलून, ब्यूटी पॉर्लर, सब्जी की दुकानों के लिए लोन मिलेगा। तीन साल तक कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। इसका मकसद लोगों को पहाड़ पर स्वरोजगार मुहैया कराते हुए पलायन को रोकना है।

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