उत्तराखंड चारधाम यात्रा: 29 को खुलेंगे मंदिर के कपाट, बर्फीले रास्तों से होकर अपने धाम पहुंची बाबा केदार की डोली,

बाबा केदार की डोली सोमवार शाम को धाम पहुंच गई है।आज बाबा केदार की डोली को पैदल ही भीमबली होते हुए केदारनाथ धाम ले जाया गया। अब बुधवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर केदारनाथ मंदिर के कपाट मेष लग्न में खोले जाएंगे। लॉकडाउन के चलते इस वर्ष बाबा केदार की यात्रा में डोली कार्यक्रम व कपाटोद्घाटन सूक्ष्म रूप से किया जा रहा है।

सोमवार को लोगों ने अपने घरों से ही हाथ जोड़कर भगवान केदारनाथ को धाम के लिए विदा किया। गौरीकुंड में मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने चल विग्रह डोली में बाबा केदार की पंचमुखी भोगमूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना की। आरती के बाद आराध्य को भोग लगाया गया। सुबह 6.30 बजे बाबा की चल विग्रह डोली ने अपने धाम प्रस्थान किया।

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जमाणियों (डोली ले जाने वाले) के कांधों पर सवार डोली चिरबासा, जंगलचट्टी होते हुए सात किमी का सफर तय सुबह साढ़े दस बजे भीमबली पहुंची। यहां पर बाबा केदार की डोली को भीमशिला के समीप रखा गया। अल्प विश्राम के उपरांत पूर्वान्ह 11.30 बजे डोली भीमबली से धाम के लिए आगे बढ़ी और रामबाड़ा, छोटी लिनचोली, बड़ी लिनचोली, छानी कैंप, रुद्रा प्वाइंट होते हुए नौ बर्फ से प्रभावित रास्ते के बीच से अपराह्न तीन बजे अपने धाम केदारनाथ पहुंची, जहां पर मुख्य पुजारी द्वारा सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया।

केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है, जब बाबा की चल विग्रह डोली कपाटोद्घाटन से दो दिन पूर्व ही धाम पहुंच गई हो। अब डोली धाम में दो दिन विश्राम करेगी। देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि कपाटोद्घाटन समारोह को सूक्ष्म रूप से किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि जिन लोगों को पास जारी हुए हैं, वे ही डोली के साथ शामिल हैं। अब, डोली मंगलवार तक धाम में ही विश्राम करेगी। जबकि बुधवार केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली के साथ मंदिर समिति, प्रशासन और पुलिस के 20 से अधिक लोग धाम पहुंच गए हैं। ये लोग, बुधवार को कपाटोद्घाटन तक धाम में ही रहेंगे।

देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष शुरूआती दो माह यात्रा का संचालन सूक्ष्म रूप से होगा। मुख्य पुजारी समेत मंदिर से जुड़े गिनती के लोग ही धाम में रह सकेंगे। इस दौरान समिति द्वारा रोस्टर के तहत अपने कर्मचारी धाम में रखे जाएंगे, जिससे पूजा-अर्चना व सायंकालीन आरती की व्यवस्थाओं को नियमित किया जा सके।

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