उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उठाए सरकार से zone वितरण पर यह सवाल। देहरादून और हरिद्वार को लेकर 18 मई तक देना होगा जवाब!

देहरादून से कम कोरोना पॉजिटिव केस वाले जिले हरिद्वार में लोगों को प्रशासन की ज्यादा सख्ती सहनी पड़ रही है वजह है हरिद्वार का कोरोना के रेड जोन में होना जबकि उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले देहरादून में हैं, लेकिन ये जिला ऑरेंज जोन में है।

हरिद्वार के साथ हुई इस नाइंसाफी को लेकर सवाल सबके मन में थे, लेकिन पूछने की हिम्मत किसी ने नहीं जुटाई। एक वेबसाइट के मुताबिक! हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि वो बताएं कि हरिद्वार को किस आधार पर रेड जोन घोषित किया गया, और देहरादून क्यों ऑरेंज जोन में है। हरिद्वार में 8 पॉजिटिव मामले मिले हैं।इसके बावजूद हरिद्वार को रेड जोन में रखा गया,वहीं बात करें देहरादून जिले की तो यहां कोरोना के 38 केस मिले हैं, ये संख्या लगातार बढ़ ही रही है। जबकि देहरादून ऑरेंज जोन में जगह पा गया। इस नाइंसाफी ने हरिद्वार के एक लॉ स्टूडेंट को हाईकोर्ट की शरण में जाने पर मजबूर कर दिया। लॉ स्टूडेंट्स ने इस संबंध में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की।

जिसमें उसने हरिद्वार को रेड जोन में रखे जाने पर नाराजगी जताई। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार से भी जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने देहरादून को ऑरेंज और हरिद्वार को रेड जोन में रखने का आधार पूछा है। मामले में राज्य सरकार से 18 मई तक जवाब देने को कहा है। याचिका दायर करने वाले लॉ स्टूडेंट का नाम अक्षित शर्मा है। उनकी याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई।

याचिका में अंकित ने बताया कि 20 अप्रैल को हरिद्वार जिले में कोरोना के 2 पॉजिटिव केस मिले थे, जबकि देहरादून में 10 पॉजिटिव मरीज मिले। ऐसे में हरिद्वार जिले को रेड जोन और देहरादून को ऑरेंज जोन की कैटेगरी में रखा गया, जो कि गलत है। अक्षित ने इसकी जांच की मांग की। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से 18 मई तक जवाब देने को कहा है।

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