तूतीकोरिन ऑक्सीजन प्लांट बंद किया सुप्रीम कोर्ट ने, बंद ना होता तो आज प्लांट से ऑक्सीजन आती, जिम्मेदार कौन कौन ? –

कल सुप्रीम कोर्ट में हरीश साल्वे ने याचिका दायर करके मांग की कि
तूतीकोरिन प्लांट को शुरू करने की अनुमति दी जाये जिससे वेदांता ग्रुप 1000 टन से ज्यादा ऑक्सीजन काउत्पादन 5 – 6 दिन में शुरू कर सके जो देश के लिए मुफ्त देने के लिए तैयार है —

ये प्लांट वेदांता इंडस्ट्रीज के मालिक अनिलअग्रवाल का है जिसके खिलाफतमिलनाडु में 2017 में पर्यावरण को ले कर आंदोलन छेड़ा गया -22 मई को पुलिस गोलीबारी में 13 लोग मारे गए —

उसके बाद तमिलनाडु पर्यावरण बोर्ड (TNPCB) के आदेश पर 9 अप्रैल, 2018 को प्लांट को सील कर दिया गया लेकिन NGT ने अपने 15 दिसंबर,2018 के आदेश में TNPCB के आदेशbको रद्द कर दिया और प्लांट को खोलनेका रास्ता साफ़ कर दिया —

तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई NGT के आदेश को रद्द कराने के लिए और वेदांता ने अपील दायर की सुप्रीम कोर्ट में NGT के आदेश को क्रियान्वित कराने और प्लांट को फिर से शुरू कराने के लिए —

अपने 18 फरवरी के आदेश में सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों, Justice RF Narimanऔर Justice Navin Sinha की बेंच ने NGT के आदेश को रद्द कर दिया और प्लांट को बंद ही रहने दिया —

सुप्रीम कोर्ट की दोनों जजों की बेंच ने कंपनी को हाई कोर्ट जाने की अनुमति दे दी –जो मसला आपके सामने है उसे आप सुप्रीम अदालत होने के नाते सुन सकते थे और फैसला दे सकते थे पर ऐसा नहीं किया गया –किसी हाई कोर्ट में क्षेत्राधिकार के मसले पर सुप्रीम कोर्ट
निर्णय ले सकता है —

प्लांट बंद होने की वजह से वेदांता इंडस्ट्रीज के मालिक अनिल अग्रवाल
को 200 मिलियन डॉलर का नुक्सानहुआ था –परन्तु इससे अदालत को क्या मतलब —

आज प्लांट 3 साल से बंद पड़ा है और कल तमिलनाडु सरकार ने यही दलील रखी कि सुप्रीम कोर्ट प्लांट खोलने के लिए पहले ही मना कर चुका है —

अब प्लांट 3 साल से बंद रखने की जिम्मेदारी अदालत क्या लेने को तैयार होगी जिसकी वजह से देश को मिल सकने वाली ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही –नरीमन और नविन सिन्हा दोनों अगस्त में रिटायर हो जायेंगे –

हरीश साल्वे ने कंपनी की तरफ से ऐसे ही नहीं कहा कि अनिल अग्रवाल की वेदांता इंडस्ट्रीज मुफ्त में 1000 टन से ज्यादा ऑक्सीजन मुफ्त में सप्लाईकर देंगे —

अनिल अग्रवाल और उनके परिवार ने 2014 में अपनी 75% संपत्ति दान कर दी थी जो 21000 करोड़ रुपये थी -ऐसे उद्योगपति के लिए मुफ्त में ऑक्सीजन सप्लाई करना कोई बड़ी बात नहीं है –

ये हो सकता है कि बदले माहौल में शायद अदालत प्लांट खोलने की आज्ञा दे भी दे मगर तमिलनाडु में फिर से इसी प्लांट के विरोध में आग लगाई जा सकती
है —

तो अब आप ही सोचिये जिम्मेदारी किसकी है ,,,,

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